Title: डगमग राहों का पथिक: बच्चन की आत्मकथा
Article-ID 202006011/I GLOBALCULTURZ Vol.I No.2 May-August 2020 Language::Hindi
Domain of Study: Humanities & Social Sciences
Sub-Domain: Literature-Criticism
राम प्रकाश द्विवेदी
एसोसिएट प्रोफ़ेसर, डॉ० भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली-110094, भारत
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Note
Harivansh Rai Bachchan is renowned poet and author of Hindi language. He has authored a detailed autobiography which is widely read and gained respect among scholars, students and reearchers. A short-version of his four-volume writings were compiled by poet Ajit Kumar. The below article focuses on this particular book and explains the major events and contributions of Mr. Bachchan’s life. It also hilights important biographies written in Hindi language.
आत्मकथा लेखन एक आधुनिक विधा है। हिंदी की पहली आत्मकथा बनारसीदास जैन की ‘अर्धकथानक’ मानी जाती है। आत्मकथा लेखन के क्षेत्र में सर्वाधिक ख्याति मिली महात्मा गाँधी को, जिनकी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हुई। डॉ० राजेंद्र प्रसाद की ‘आत्मकथा’ भी एक अनूठी रचना है। हिंदी साहित्यकारों में बाबू श्यामसुंदर दास की ‘मेरी आत्मकहानी’,पांडेय बेचन शर्मा उग्र की ‘अपनी खबर’, बाबू गुलाब राय की ‘मेरी असफलताएँ’, सेठ गोविंद दास की ‘आत्म निरीक्षण’राहुल सांकृत्यायन की ‘मेरी जीवन यात्रा’, यशपाल की ‘सिंहावलोकन’ चतुरसेन शास्त्री की ‘यादों की परछइयाँ’ अज्ञेय की ‘लिखि कागद कोरे’ आदि की रचनाएँ अपने समय अौर समाज की नब्ज़ को टटोलती हैं। आज जब दलित अौर स्त्री स्वर साहित्य जगत में मुखर हो रहा है तब स्वाभाविक ही है कि दलितों अौर स्त्रियों की आत्मकथाएँ हमारे समक्ष आएँ। इसी क्रम में मोहनदास नैमिशराय की ‘अपने-अपने पिंजरे’, अोमप्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’, सूरज पाल चौहान की ‘तिरस्कृत’ आदि आत्मकथाअों का आगाज हुआ। इन रचनाअों का तेवर बदला हुआ है। इनमें एक आक्रोश है तो एक आकांक्षा भी।