Title: कहावतों का जाति विमर्श
Article-ID 202004002/I GLOBALCULTURZ Vol.I No.1 Jan-April 2020 Language::Hindi
Domain of Study: Humanities & Social Sciences
Sub-Domain: Folk Culture
डा. सत्य प्रिय पाण्डेय
लोक साहित्य विमर्शकार एवं असिस्टेंट प्रो० श्यामलाल कॉलेज , दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, भारत
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संसार की शायद ही ऐसी कोई जाति रही हो जिस पर कहावतें न बनीं हों | जहां जाति भेद नहीं रहा वहाँ नस्ल भेद रहा है, रंग भेद रहा है , भेद किसी न किसी रूप में अवश्य रहा है | इसलिए भारत ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी जाति और नस्ल पर कहावतें मिलती हैं | यह इस बात का प्रमाण है कि हर जाति अथवा नस्ल की कोई न कोई ऐसी विशिष्टता जरूर होती है जो उसे अन्य जाति से अलग एक विशिष्ट पहचान दिलाती है इसे कोई उसका दोष भले कहे किन्तु इनका बड़ा ही सूक्ष्म विश्लेषण कहावतों में प्राप्त होता है | एक फ्रांसीसी कहावत देखें जिसमें यहूदी , ग्रीक और अर्मेनियन के बारे में कहा गया है कि – यहूदी और साँप हों तो साँप पर विश्वास करो , यहूदी और ग्रीक में ग्रीक पर किन्तु अर्मेनियन पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता | 1 यहूदियों के बारे में सभी देशों की कहावतों की राय लगभग एक ही तरह की है कि ये विश्वास के योग्य नहीं होते हैं | मसलन यहूदियों पर ही और कहावतें देखें – यहूदी ही यहूदी को धोखा दे सकता है 2| व्यापार यहूदी को नष्ट कर देता है और यहूदी व्यापार को 3| एक लिवोलियन कहावत देखेंजिसमें यहूदी को सबसे ज्यादा ख़तरनाक बताया गया है – पोल जर्मन के द्वारा ठगा गया है , जर्मन इटैलियन के द्वारा , इटैलियन स्पैनियन के द्वारा , और स्पैनियन यहूदियों के द्वारा और यहूदी शैतान के द्वारा | 4 संभव है कि यहूदियों ने अपनी कुटिलता से लोगों को ठगा हो और अपना विश्वास खोया हो |