‘आज तक’ की वेबसाइट पर प्रकाशित धर्म, अध्यात्म और संस्कृति से जुड़ी खबरें: एक आलोचनात्मक अध्ययन

 GLOBALCULTURZ ISSN:2582-6808 Vol.II No.1 January-April 2021  

Article-ID 202101026/II  Pages265-269 Language:Hindi Domain of Study: Humanities & Social Sciences  Sub-Domain: Media Studies Title:आज तक’ की वेबसाइट पर प्रकाशित धर्म, अध्यात्म और संस्कृति से जुड़ी खबरें: एक आलोचनात्मक अध्ययन

Download PDF

आदर्श कुमार असिसटेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश

 (भारत) एवं शोधार्थी, मनिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान (भारत) 

[E-mailadarshanchor@gmail.com[[M:+91-9871440511] 


Note in English 

Media Studies

About the Author

सम्प्रति- Assitant Professor,

School of Journalism & Mass Communication

 Noida International University

Research Scholar

Manipal University Jaipur, Jaipur

( International Poet, Author & Journalist)

Gold Medalist, Delhi University Topper, State Topper

( 15 years working experience in No. 1 News Channel 

ABP News, STAR News, Aaj Tak, AIl India Radio, Jansatta & Academics)

Author of popular book Akshar Akshar Adarsh

____________________________________________________________________________________________________________________________  

शोध भूमिका- पल-पल बदलती दुनिया में ज्यादातर आबादी सूचना हासिल करने के लिए ऑनलाइन मीडिया का इस्तेमाल करती है। खासकर युवा वर्ग के हाथों में अब स्मार्टफोन और 4जी का अनलिमिटेड डेटा है, ऐसे में ऑनलाइन मीडिया सूचना का सबसे बड़ा स्त्रोत बनकर उभरा है। गौरतलब है कि लोग जब ऑनलाइन मीडिया पर खबरें तलाशते हैं तो वो चैनलों की वेबसाइट का रुख करते हैं खासकर बड़े न्यूज चैनल के वेबसाइट्स पर वो ज्यादा समय बिताते हैं। ऐसे में हमने एक प्रमुख और ज्यादातर समय नंबर वन की पायदान पर रहने वाले न्यूज चैनलआज तककी वेबसाइट का अध्ययन किया। हमने जानने की कोशिश की कि आज तक की वेबसाइट पर धर्म और संस्कृति से जुड़ी खबरों और कंटेंट का स्तर क्या है ? इस वेबसाइट पर किस तरह के कंटेंट हैं और इसका लोगों पर किस हद तक प्रभाव है ? हमने समझने की कोशिश की कि क्या वाजिब मात्रा में इस वेबसाइट पर धर्म और संस्कृति की खबरें दी जा रही है ?

आज तक की वेबसाइट पर धर्म और संस्कृति से जुड़े विषयों पर किस तरह का कंटेंट प्रकाशित किए जाते हैं?

आज तक की वेबसाइट पर जब हमधर्मसेक्शन पर क्लिक करते हैं तो राशि, धार्मिक स्थल, व्रत-त्योहार, जिज्ञासा और मंत्र जैसे सब सेक्शन मिलते हैं। जनवरी से लेकर मार्च, 2018 के बीच इस पृष्ठ पर सबसे प्रमुख लेख जो नजर आए, वो निम्नलिखित हैं। 

भगवान राम का वासंतिक नवरात्र से क्या संबंध है ? इस लेख में भगवान राम के जन्म के बारे में जानकारी दी गई है। दिन के किस समय भगवान राम की पूजा की जानी चाहिए, इसका जिक्र किया गया है। इसके बाद बताया गया है कि कैसे करें राम की उपासना ? आज के दिन हवन का विधान क्या है ? किस लाभ के लिए किस चीज से हवन करें। कुल मिलाकर इस लेख में व्यावहारिक सूचना दी गई है कि आप सही तरीके से रामनवमी की पूजा कैसे करें। लेकिन भगवान राम के जीवन और उनके व्यक्तित्व से जुड़ी कोई प्रेरणादायक जानकारी नहीं दी गई है। जाहिर है रामनवमी के मौके पर राम के चरित्र से जुड़ी जानकारियां रामचरित मानस के अलग-अलग कांड, वाल्मीकि रामायण तुलसीदास के रामायण से जुड़ी विशेष बातें बताई जानी चाहिए थीं। सिर्फ राम की पूजा कब करें और कैसे करें बता देना ये नंबर वन न्यूज चैनल का दावा करने वाले राष्ट्रीय न्यूज चैनलआज तककी वेबसाइट पर शोभा नहीं देता।

नवरात्रि: आज ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा। इसमें नवरात्रि के मौके पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान बताया गया है। ऐसे ही दो-तीन आलेख में नवरात्रि की पूजा संबंधी बिंदुवार जानकारी दी गई है। इसमें किसी भी तथ्य का विस्तृत विवरण नहीं है। यह लेख सिर्फ और सिर्फ पूजा की विधि बताता है। इस तरह के तीनों लेखों में भरपूर तथ्यात्मक और विवरणात्मक जानकारी की संभावना थी, जिसकी अनदेखी की गई है।

नवरात्रि के बाद ऐसे पाएं मां की कृपा ! इस आलेख के अंतर्गत सिर्फ पूजा की विधि बताई गई है। एक अन्य आलेख है चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी, एक ही दिन सप्तमी और अष्टमी। इस लेख में भी जहां देवी का महात्मय बताया जाना चाहिए था, वहां बस जानकारी को पूजन विधि तक ही समेट दिया गया है।

आगे के सब-सेक्शन में हैं रुद्राक्ष में बसता है देवी-देवताओं का स्वरूप। इसमें आलेख की बजाय वीडियो के जरिए रुद्राक्ष को कुछ-कुछ चमत्कारी बताते हुए उसके गहरे संदर्भ से बचा गया है।

राशि

धर्म सेक्शन के तहत सबसे ज्यादा जोर राशिफल पर है। हर राशि के दैनिक, साप्ताहिक और वार्षिक भविष्यफल का जमावड़ा है। ये एक स्वाभाविक-सी बात है कि हर दौर में मनुष्य अपने भविष्य को लेकर जिज्ञासु रहा है, उसकी जिज्ञासा पर चर्चा जरूरी है। मगर इस सब-सेक्शन को देखकर लगता है जैसे धर्म का मतलब सिर्फ राशिफल ही है। इसे तो आखिर में जगह दी जानी चाहिए थी, मगर ये यहां सबसे पहले है। ये स्थिति निश्चित तौर पर चिंताजनक है।


व्रत- त्योहार

आइए सबसे पहले इस सब-सेक्शन के लेखों के शीर्षक पर एक नजर डालते हैं।

जानें कब है पापमोचिनी एकादशी, क्या है इसकी महिमा ?

जानें कब है शीतला अष्टमी, क्या है इसकी पूजन-विधि ?

छत्तीसगढ़ के इस गांव में 150 साल से नहीं मनी होली

जानें कब है रंग भरी एकादशी और क्या है इसका महत्व ?

जानें कब है जया एकादशी और क्या है इसका महत्व ?

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को ऐसे करें प्रसन्न 

गुप्त नवरात्र में गोपनीय रखें अपनी मनोकामनाएं

मौनी अमावस्या- इस दिन हुआ था द्वापर युग का प्रारंभ

मकर संक्रांति- इस बार माघ में बन रहे हैं ये योग

संकष्टी चतुर्थी, 2018- जानें कब है संकष्टी

पौष पूर्णिमा- जानें कब है पौष पूर्णिमा व्रत

व्रत त्योहार के इस पूरे सब-सेक्शन में बस सूचना पर जोर दिया गया है यानि कब है व्रत और कैसे करें पूजा कहीं-कहीं व्रत के लाभ पर भी फोकस किया गया है। कायदे से व्रत और उसके मनाए जाने की वजह और व्रत का वैज्ञानिकता से संबंध पर प्रकाश डाला जाना चाहिए था। 

धार्मिक स्थल

ये सब-सेक्शन काफी हद तक ठीक है। इसमें विविधता के रंग है। अलग-अलग धार्मिक स्थलों के बारे में प्रासंगिक जानकारी दी गई है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। आइए देखते हैं इस सब-सेक्शन के तहत प्रकाशित किए गए कुछ लेखों के शीर्षक।


भगवान शिव ने यहां किया था गौरी से विवाह

जानिए आशापुरी माता मंदिर की महिमा, जहां मोदी भी पहुंचे माथा टेकने

500 साल पहले इस गुरुद्वारे की खुद गुरुनानक जी ने की थी स्थापना

इस मंदिर में मनाया जाता है फुटवियर फेस्टिवल, लोग चढ़ाते हैं चप्पलें

काबा में होने वाले इस नए निर्माण को लेकर चिंता में हैं लोग

छठ पूजा, विश्वकर्मा जी ने किया था इस मंदिर का निर्माण

सिर्फ नागपंचमी पर ही खुलते हैं इस मंदिर के पट

अमरनाथ यात्रा फिर बहाल, बारिश के बाद रोक दी गई थी

जर्मनी में चर्च के भीतर खुली ऐसी मस्जिद, जहां नकाब-बुरका है बैन

जहां  अर्जुन ने शिव को किया था प्रसन्न

दुर्योधन और कर्ण को भी पूजा जाता है यहां

जहां हर साल बदल जाती है शिवलिंग की आकृति

जहां देवता को भक्त चढ़ाते हैं दीवार घड़ी

गोबर से बनी है हनुमान की 300 साल पुरानी प्रतिमा

यहां तिल के अभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं शिव

शिमला के जाखू मंदिर में जहां आज भी हैं हनुमान के पदचिन्ह

एक ऐसा मंदिर जहां भगवान को चढ़ाई जाती है चॉकलेट

सती के त्याग का गवाह है मायादेवी शक्तिपीठ

वैद्यनाथ के पंचशूल में छिपा रहस्य

जहां बाण लगने के बाद कृष्ण ने त्याग दिए थे प्राण

जहां प्रभु जगन्नाथ को मिलता है गार्ड ऑफ ऑनर

यहां अर्जी पढ़कर मनोकामना पूरी करते हैं देवता

नासिक कुंभ- 12 साल में एक बार खुलता है मंदिर

भटके हुए देवता से यहां मिलने जाना होगा आपको

43 साल से प्रज्जवलित है अग्नि, कभी नहीं हुआ माचिस का प्रयोग

कृष्ण की नगरी वृंदावन में बनने जा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर


ऐसे और भी आलेख हैं जो आस जगाते हैं कि धार्मिक स्थलों के बारे में गंभीरता से जानकारी देने की कोशिश हो रही है। आलेख के भीतर जो कंटेंट हैं वो भी ठीक है, हालांकि थोड़ा-सा कंटेंट को और विस्तार देने की गुंजाइश जरूर है- लेकिन डिजिटल मीडिया की प्रकृति को देखते हुए उसे नजरअंदाज किया जा सकता है।

जिज्ञासा

इस सब-सेक्शन के विषय के लिहाज से काफी सारे लेख हैं जो वाकई मानव मन की जिज्ञासा को संबोधित करते हैं।जिज्ञासासेक्शन के तहत दी गई खबरों की प्रकृति का अंदाजा आप इन शीर्षकों से लगा सकते हैं।

नीम के पेड़ से होते हैं इतने सारे फायदे

जानें कब और क्यों व्यक्ति नहीं ले पाता है सही फैसले

जानें, क्या है होलिका दहन का पौराणिक महत्व ?

अग्नि तत्व से जुड़ी राशि वाले लोगों की खासियत

घर में इस जगह लगाएं घड़ी, मिलेगी तरक्की ही तरक्की

जानिए कैसे बना था शिव तांडव स्त्रोत ?

मुगल बादशाह अकबर क्यों करते थे सूर्य नमस्कार ?

वो गांव, जहां द्रोपदी ने की थी छठ पूजा

ऐसे और भी बहुत सारे आलेख इस सब-सेक्शन के तहत प्रकाशित हैं। लेकिन इस सब-सेक्शन के तहत शामिल किए गए लेखों को लेकर कंटेंट राइटर असमंजस का शिकार दिखता है। इस सब-सेक्शन में राशि संबंधी जानकारी भी दी गई है, व्रत-त्योहार को भी शामिल कर लिया गया है। कायदे से इसमें उस तरह के कंटेंट शामिल किए जाने चाहिए थे, जो अन्य सब-सेक्शन से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन कंटेंट को लेकर यहां स्पष्टता का घोर अभाव है। इस सब-सेक्शन में विषय वस्तु का चयन सही तरीके से नहीं किया गया है।

मंत्र

इस सब-सेक्शन में किस समस्या के लिए किस मंत्र का जाप करें, इसकी जानकारी दी गई है।

एक नजर इस सब-सेक्शन में प्रकाशित लेखों पर-


हनुमान साधना के 10 प्रभावी मंत्र, जिनसे दूर होंगे सारे संकट

ये है भगवान शिव को खुश करने का खास मंत्र

चमत्कारी हैं महाबली हनुमान के ये मंत्र, दूर होगा मंगल दोष

ये है धन और कामयाबी पाने का मूलमंत्र

इस तरह इस सब-सेक्शन में मंत्र और उसके लाभ के बारे में जानकारी दी गई है- लेकिन मंत्र की वैज्ञानिकता का यहां विवेचन करना जरूरी था। मंत्र को ध्वनि-विज्ञान से जोड़कर इसकी बेहतर व्याख्या की जा सकती थी, जिसकी यहां अनदेखी की गई है। ये भी संभव है कि कंटेंट राइटर को इस बारे में कोई जानकारी ही ना हो।

वीडियो

इस सब-सेक्शन के तहत अलग-अलग वीडियो हैं जो किसी किसी अर्थ में धर्म से जुड़े हुए हैं लेकिन वेबसाइट पर खबर पढ़ने वाले वीडियो कम ही देखते हैं।


आज तककी वेबसाइट परधर्मसेक्शन के तहत प्रकाशित खबरों का पाठकों पर कितना प्रभाव पड़ता है?

हमने इसे समझने के लिए 180 लोगों से सवाल पूछे, जिनमें से 150 लोगों के जवाब आए। ये  वैसे लोग थे जो इंटरनेट पर खबरें पढ़ा करते हैं। सभी लोग अलग-अलग क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं।

पहला सवाल- क्या आप इंटरनेट पर धार्मिक खबरें पढ़ते हैं ?

हां- 45 %

नहीं- 32 %

कभी-कभी- 23 %

दूसरा सवाल- क्या आप धर्म संबंधी जानकारी के लिएआज तककी वेबसाइट पर लेख पढ़ते हैं  ?

हां- 31%

नहीं- 22 %

अन्य स्त्रोत-17 %

तीसरा सवाल- आज तकके धर्म संबंधी कंटेंट को लेकर आप कितने संतुष्ट है ? 

बहुत अच्छा- 42 %

अच्छा-        33 %

सामान्य      20 %

ठीक नहीं-  5 %

धार्मिक खबरों में विशेष रुचि रखने वाले इंडिया टीवी में कार्यरत पत्रकार अभिनव शाह के मुताबिक धर्म किसी भी न्यूज वेबसाइट के लिए आकर्षक तत्व है। जब पाठक इस तरह की वेबसाइट पर आता है तो वो धार्मिक खबरें पढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक-सामाजिक खबरों को भी पढ़ डालता है। लेकिन जो खबर उन्हें किसी भी न्यूज वेबसाइट पर खींच लाती है, वैसी खबरों में ज्यादातर धार्मिक या अजब-गजब किस्म की खबरें होती है।

शोध निष्कर्ष-

देश के सबसे प्रमुख न्यूज चैनल यानिआज तककी वेबसाइट पर मौजूद धर्म संबंधी लेख का अध्ययन कर हमने समझने की कोशिश की कि आखिर डिजिटल मीडिया के दौर में लोगों तक किस तरह का कंटेंट पहुंच रहा है। जो लोग इंटरनेट पर धर्म संबंधी खबरें पढ़ते हैं, वो धार्मिक खबरों के बारे में क्या सोचते हैं? क्या उन्हें उपयुक्त कंटेंट मिल रहा है या फिर जो मिल रहा है उसमें सुधार की गुंजाइश है। कुछ हद तक तो जो कंटेंट यहां मौजूद है, उसमें सूचना या सतही खबर तो मौजूद है मगर धर्म का उद्देश्य क्या है, धर्म हमारी जिंदगी को किस तरह संवारता है या हमारी संस्कृति की जड़ें कैसे हमें सुंदर जीवन जीने के लिए हमेशा प्रेरित करती है- इस तरह के कंटेंट का नितांत अभाव है।  ‘धर्मसेक्शन के तहत प्रकाशित खबरों में सबसे ज्यादा प्रमुखता राशिफल संबंधित जानकारी को दी गई है। हालांकि निचले पायदान पर धर्म और संस्कृति से संबंधित कुछ खबरें जरूर मिलीं, मगर वो बेहद कम हैं। साथ ही उच्चस्तरीय खबरों का घोर अभाव है। हमने इस बाबत करीब 150 लोगों से सर्वे के जरिए धर्म और संस्कृति से संबधित खबरों के बारे में उनके विचार जानने की कोशिश की और जो मोटे तौर पर निष्कर्ष निकला वो बेहद निराशाजनक है। देश के सबसे प्रमुख न्यूज चैनलआज तककी वेबसाइट  www.aajtak.com पर धर्म और संस्कृति की स्तरीय खबरों का पर्याप्त मात्रा में मौजूद ना होना चिंता पैदा करता है। इसलिएआज तकही नहीं बल्कि सभी न्यूज वेबसाइट्स को धर्म और संस्कृति से संबंधित खबरों को वाजिब अहमियत देनी चाहिए क्योंकि हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत आखिर हमारी समृद्ध धार्मिक-सांस्कृतिक परंपरा ही तो है।



संदर्भ सूची-

वेबसाइट

https://www.aajtak.in/religion

https://www.abplive.com/lifestyle/religion

https://zeenews.india.com/hindi/tags/festivals.html

विकिपीडिया 

गूगल